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Friday, 10 March 2017

जय श्री कृष्ण

इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी,
खामोशियो की आदत हो गयी ,
न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,
अगर है तो एक """""मोहब्बत""""""
जो ""कान्हा"""तुम से हो गई .,,,



मेरे"""साँवरिया"""
ये सोचना गलत है कि तुम पर नज़र नहीं है...
मसरूफ़ हम बहुत है मग़र बेख़बर नही है.....
"""प्यारे कान्हा"""
क्यूँ सताते हो
मुझे यु दुरिया बढा कर
मेरे कान्हा...
तुम्हे मालूम नही अधूरी हो
जाती है तुम बिन जिंदगी



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