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Tuesday, 28 March 2017

Durgaji Ki Aarti - Jai Ambe Gauri

                      Durgaji Ki Aarti - Jai Ambe Gauri

Jai ambe gauri maiya jai shyama gauri
Tumako nishadin dhyawat hari bramha shivaji || Maiya Jai..||

Mang sindur virajat tiko mrigamad ko
Ujjwal se dou naina chandrawadan niko || Maiya..

Kanak saman kalevar raktambar raje
Rakt pushp gal mala kanthan par saje || Maiya..

Kehari wahan rajat khadag khappar dhari
Sur-nar-munijan sewat tinake dukhahari || Maiya..

Kaanan kundal shobhit nasagre moti
Kotik chandr diwakar rajat sam jyoti || Maiya..

Shumbh-nishumbh bidare mahishasur ghati
Dhumr vilochan naina nishadin madamati || Maiya..

Chand-mund sanhare shonit bij hare
Madhu-kaitabh dou mare sur bhayahin kare || Maiya..

Bramhani rudranitum kamala rani
Agam nigam bakhanitum shiv patarani || Maiya..

Chausath yogini mangal gawatnritya karat bhairu
Bajat tal mridangaaru baajat damaru || Maiya..

Tum hi jag ki mata tum hi ho bharata
Bhaktan ki dukh harta sukh sampati karta || Maiya..

Bhuja char ati shobhivaramudra dhari
Manwanchhit fal pawat sewat nar nari || Maiya..

Kanchan thal virajat agar kapur bati
Shrimalaketu mein rajat koti ratan jyoti || Maiya..

Shri ambeji ki arati jo koi nar gave
Kahat shivanand swami sukh-sampatti pave || Maiya..


***
      JAI MATA DI

नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!


या देवी सर्वभूतेषु प्रकृति रूपेण संस्थिता नमस्तस्वै नमस्तस्वै नमस्तस्वै नमो नम: !
जय माँ ब्रह्मचारिणी!
नवरात्रि की शुभकामनाएं!


हमको था इंतज़ार वो घड़ी आ गई;
होकर सिंह पर सवार माता रानी आ गई;
होगी अब मन की हर मुराद पूरी;
हरने सारे दुख माता अपने द्वार आ गई।
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!

नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं




खुशियाँ और आपका जन्म-जन्म का साथ हो,
हर किसी की जुबान पर आपकी की ही बात हो,
जीवन में कोई मुसीबत आए भी तो,
आपके सिर पर माँ दुर्गा का हाथ हो…
नवरात्री की हार्दिक शुभकामनाएं!

Wednesday, 22 March 2017

Jai Shri Radhe Krishna

सुनो कन्या जहाँ से तेरा मन करे 
मेरी ज़िन्दगी को पड़ लो पन्ना चाहे 
कोईं भी खोलो हर पन्ने पर 
तेरा नाम होगा मेरे कान्हा


Jo Hona Hai Wo Toh Hokar Hi Rahega,
Manushya Ka Ye Kartavya
Hai Ke Vartamaan Ki Jholi Mein 
Apna Uphaar Daalkar Aage Badh Jaye!



Peela Kapda Kiya Hai Dharan
Mor Mukut Bhi Pehna Hai
Nritya Kare Sang Gopiyon Ke
Murli Inka Gehna Hai

Jai Shri Radhe Krishna

Sunday, 19 March 2017

जय श्री राधे

किशोरी जी की कृपा****
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बरसाना में श्री रुप गोस्वामी चेतन्य महाप्रभु के छः शिष्यो में से एक। एक बार भ्रमण करते करते अपने चेले जीव गोस्वामी जी के यहाँ बरसाना आए।
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जीव गोस्वामी जी ठहरे फक्कड़ साधू..
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फक्कड़ साधू को जो मिल जाये वो ही खाले जो मिल जाये वो ही पी ले।
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आज उनके गुरु आए तो उनके मन भाव आया की में रोज सूखी रोटी, पानी में भिगो कर खा लेता हूं।
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मेरे गुरु आये हैं क्या खिलाऊँ..
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एक बार अपनी कुटिया में देखा किंचित तीन दिन पुरानी रोटी बिल्कुल कठोर हो चुकी थी।
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मैं साधू पानी में गला गला खा लूं।
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यद्यपि मेरे गुरु साधुता की परम स्थिति को प्राप्त कर चुके है फिर भी मेरे मन के आनन्द के लिए। कैसे मेरा मन संतुष्ट होगा।
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एक क्षण के भक्त के मन में सँकल्प आया की अगर समय होता तो किसी बृजवासी के घर चला जाता।
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दूध मांग लेता, चावल मांग लाता।
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मेरे गुरु पधारे जो देह के सम्बंध में मेरे चाचा भी लगते हैं। लेकिन भाव साम्रज्य में प्रवेश कराने वाले मेरे गुरु भी तो हैं।
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उनको खीर खिला देता...
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रूप गोस्वामी ने आकर कहा जीव भूख लगी है तो जीव गोस्वामी उन सूखी रोटीयो को अपने गुरु को दे रहा है।
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अँधेरा हो रहा है। जीव गोस्वामी की आँखों में अश्रु आ रहे हैं और रुप गोस्वामी जी ने कहा तू क्यों रो रहा है हम तो साधू हैं ना।
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जो मिल जाय वही खा लेते हैं। नहीं में खा लूंगा।
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जीव ने कहा, नहीं बाबा मेरा मन नहीं मान रहा।
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आप की यदि कोई पूर्व सूचना होती तो मेरे मन में कुछ था।
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यह चर्चा हो ही रही थी की कोई अर्द्धरात्रि में दरवाजा खटखटाता है। ज्यो ही दरवाजा खटखटाया है। जीव गोस्वामी जी ने दरवाजा खोला।
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एक किशोरी खड़ी हुई है 8 -10 वर्ष की हाथ में कटोरा है।
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कहा, बाबा मेरी माँ ने खीर बनाई है और कहा जाओ बाबा को दे आओ।
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जीव गोस्वामी ने उस खीर के कटोरे को ले जाकर रुप गोस्वामी जी के पास रख दिया। बोले बाबा पाओ...
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ज्यों ही रूप गोस्वामी जी ने उस खीर को स्पर्श किया... उनका हाथ कांपने लगा।
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जीव गोस्वामी को लगा बाबा का हाथ कांप रहा है।
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पूछा बाबा कोई अपराध बन गया है।
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रूप गोस्वामी जी ने पूछा, जीव आधी रात को यह खीर कौन लाया...??
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बाबा पड़ोस में एक कन्या है मैं जानता हूं उसे। वो लेके आई है।
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नहीं जीव इस खीर को मैने जैसे ही चख के देखा और मेरे में ऐसे रोमांच हो गया।
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नहीं जीव् तू पता कर यह कन्या मुझे मेरे किशोरी जी के होने अहसास दिला रही है।
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नहीं बाबा वह कन्या पास की है, मैं जानता हूं उसको।
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अर्ध रात्रि में दोनों गए है उस के घर और दरवाजा खटखटाया। अंदर से उस कन्या की माँ निकल कर बाहर आई।
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जीव गोस्वामी जी ने पूछा आपको कष्ट दिया, परन्तु आपकी लड़की कहां है।
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उस महिला ने कहा, का बात है गई बाबा..
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आपकी लड़की है कहाँ...??
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वो तो उसके ननिहाल गई है गोवेर्धन , 15 दिन हो गए हैं।
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रूप गोस्वामी जी तो मूर्छित हो गए।
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जीव गोस्वामी जी ने पैर पकडे और जैसे तेसे श्रीजी के मंदिर की सीढ़िया चढ़ने लगे। जैसे एक क्षण में चढ़ जायें। लंबे लंबे पग भरते हुए मंदिर पहुचे।
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वहां श्री गोसाई जी से कहा, बाबा एक बात बताओ आज क्या भोग लगाया था श्रीजी श्यामा प्यारी को।
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गोसांई जी जानते थे श्री जीव गोस्वामी को।
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कहा क्या बात है गई बाबा...
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कहा क्या भोग लगाया था... गोसाई जी ने कहा, आज श्रीजी को खीर का भोग लगाया था।
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रूप गोस्वामी तो श्री राधे श्री राधे कहने लगे।
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उन्होंने गोसाई जी से कहा बाबा एक निवेदन और है आप से।
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यद्दपि यह मंदिर की परंपरा के विरुद्ध है कि एक बार जब श्री जी को शयन करा दिया जाये तो उनकी लीला में जाना अपराध है।
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प्रिया प्रियतम जब विराज रहे हों तो नित्य लीला है उनकी।
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अपराध है फिर भी आप एक बार यह बता दीजिये की जिस पात्र में भोग लगाया था वह पात्र रखो है के नहीं रखो है...
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गोसाई जी मंदिर के पट खोलते हैं और देखते हैं की वह पात्र नहीं है वहां पर। .
गोसांई जी बाहर आते हैं और कहते हैं बाबा वह पात्र नहीं है वहां पर ! न जाने का बात है गई है...
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रूप गोस्वामी जी ने अपना दुप्पटा हटाया और वह चाँदी का पात्र दिखाया,
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बाबा यह पात्र तो नहीं है गोसांई जी ने कहा हां बाबा यही पात्र तो है...
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रूप गोस्वामी जी ने कहा, श्री राधा रानी 300 सीढ़ी उतरकर मुझे खीर खिलाने आई।
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किशोरी पधारी थी, राधारानी आई थी।
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उस खीर को मुख पर रगड़ लिया सब साधु संतो को बांटते हुए श्री राधे श्री राधे करते हुऐ फिर कई वर्षो तक श्री रूप गोस्वामी जी बरसाना में ही रहे।।
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हे करुणा निधान ! इस अधम, पतित -दास को ऐसी पात्रता और ऐसी उत्कंठा अवश्य दे देना कि इन रसिकों के गहन चरित का आस्वादन कर अपने को कृतार्थ कर सकूँ। इनकी पद धूलि की एक कनिका प्राप्त कर सकूँ।
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जब से बांके बिहारी हमारे हुए||

जब से बांके बिहारी हमारे हुए
गम ज़माने के सारे
गम जमाने के सारे किनारे हुए

जब से बांके बिहारी हमारे हुए
जब से बांके बिहारी हमारे हुए

गम ज़माने के सारे
गम जमाने के सारे किनारे हुए

अब कहीं देखने की ना ख्वाहिश रही
वो एक नज़र सी डाल के जादू सा कर गए
नज़रे मिला के मुझसे ना जाने किधर गए
दुनिया से तो मिली थी मुझे हर कदम ले चोट

पर उनकी एक नज़र से मेरे जख्म भर गए

अब कहीं देखने की ना ख्वाहिश रही

मेरी ख्वाहिश रही मेरी ख्वाहिश रही

जब से वो मेरी नज़रो के तारे हुए

गम जमाने के किनारे हुए

जब से बांके बिहारी हमारे हुए
जब से बांके बिहारी हमारे हुए

ओ मेरे श्याम सुन्दर

ये दर्द ही अब हमारी दवा बन गया

क्यों कि प्यारे

ये दर्द ही दौलत है

ये दाग भी दौलत है

जब से बांके बिहारी हमारे हुए

खुद-ब-खुद मिट गयी मेरी सभी मुश्किलें

तकदीर के दानों को बिखरने नही देते
ये जिसको भी बना देते बिगड़ने नही देते
खुद-ब-खुद मिट गयी मेरी सभी मुश्किलें
जब से वो जिंदगी के सहारे हुए

गम ज़माने के सारे गम जमाने के सारे किनारे हुए

जब से बांके बिहारी हमारे हुए
गम जमाने के सारे किनारे हुए

साँवरे तेरे दिदार

लोग मिलो का सफर करते है मेरे बाबा तेरे दरबार के लिए...
हम तो बस अपनी आंखें बंद कर लेते है साँवरे तेरे दिदार के लिए...

Prem katha

एक पंडित था, वो रोज घर घर जाके भगवत गीता का पाठ करता था |
एक दिन उसे एक चोर ने पकड़ लिया और उसे कहा तेरे पास जो कुछ भी है मुझे दे दो ,
तब वो पंडित जी बोला की बेटा मेरे पास कुछ भी नहीं है,
तुम एक काम करना मैं यहीं पड़ोस के घर मैं जाके भगवत गीता का पाठ करता हूँ,
वो यजमान बहुत दानी लोग हैं, जब मैं कथा सुना रहा होऊंगा
तुम उनके घर में जाके चोरी कर लेना!
चोर मान गया
अगले दिन जब पंडित जी कथा सुना रहे थे तब वो चोर भी वहां आ गया तब पंडित जी बोले की यहाँ से मीलों दूर एक गाँव है वृन्दावन, वहां पे एक लड़का आता है जिसका नाम कान्हा है,वो हीरों जवाहरातों से लदा रहता है,
अगर कोई लूटना चाहता है तो उसको लूटो वो रोज रात को इस पीपल के पेड़ के
नीचे आता है,।
जिसके आस पास बहुत सी झाडिया हैं चोर ने ये सुना और ख़ुशी ख़ुशी वहां से चला गया!
वो चोर अपने घर गया और अपनी बीवी से बोला आज मैं एक कान्हा नाम के बच्चे को
लुटने जा रहा हूँ ,
मुझे रास्ते में खाने के लिए कुछ बांध कर दे दो ,पत्नी ने कुछ सत्तू उसको दे दिया
और कहा की बस यही है जो कुछ भी है,
चोर वहां से ये संकल्प लेके चला कि अब तो में उस कान्हा को लुट के ही आऊंगा,
वो बेचारा पैदल ही पैदल टूटे चप्पल में ही वहां से चल पड़ा,
रास्ते में बस कान्हा का नाम लेते हुए, वो अगले दिन शाम को वहां पहुंचा जो जगह उसे
पंडित जी ने बताई थी!
अब वहां पहुँच के उसने सोचा कि अगर में यहीं सामने खड़ा हो गया तो बच्चा मुझे देख कर
भाग जायेगा तो मेरा यहाँ आना बेकार हो जायेगा,
इसलिए उसने सोचा क्यूँ न पास वाली झाड़ियों में ही छुप जाऊँ,
वो जैसे ही झाड़ियों में घुसा, झाड़ियों के कांटे उसे चुभने लगे!
उस समय उसके मुंह से एक ही आवाज आयी…
कान्हा, कान्हा , उसका शरीर लहू लुहान हो गया पर मुंह से सिर्फ यही निकला,
कि कान्हा आ जाओ! कान्हा आ जाओ!
अपने भक्त की ऐसी दशा देख के कान्हा जी चल पड़े
तभी रुक्मणी जी बोली कि प्रभु कहाँ जा रहे हो वो आपको लूट लेगा!
प्रभु बोले कि कोई बात नहीं अपने ऐसे भक्तों के लिए तो मैं लुट जाना तो क्या
मिट जाना भी पसंद करूँगा!
और ठाकुर जी बच्चे का रूप बना के आधी रात को वहां आए वो जैसे ही पेड़ के पास पहुंचे
चोर एक दम से बहार आ गया और उन्हें पकड़ लिया और बोला कि
ओ कान्हा तुने मुझे बहुत दुखी किया है, अब ये चाकू देख रहा है न, अब चुपचाप अपने
सारे गहने मुझे दे दे…
कान्हा जी ने हँसते हुए उसे सब कुछ दे दिया!
वो चोर हंसी ख़ुशी अगले दिन अपने गाँव में वापिस पहुंचा,
और सबसे पहले उसी जगह गया जहाँ पे वो पंडित जी कथा सुना रहे थे,
और जितने भी गहने वो चोरी करके लाया था उनका आधा उसने पंडित जी के
चरणों में रख दिया!
जब पंडित ने पूछा कि ये क्या है, तब उसने कहा आपने ही मुझे उस कान्हा का पता दिया था
मैं उसको लूट के आया हूँ, और ये आपका हिस्सा है , पंडित ने सुना और उसे यकीन ही
नहीं हुआ!
वो बोला कि मैं इतने सालों से पंडिताई कर रहा हूँ
वो मुझे आज तक नहीं मिला, तुझ जैसे पापी को कान्हा कहाँ से मिल सकता है!
चोर के बार बार कहने पर पंडित बोला कि चल में भी चलता हूँ तेरे साथ वहां पर,
मुझे भी दिखा कि कान्हा कैसा दिखता है, और वो दोनों चल दिए!
चोर ने पंडित जी को कहा कि आओ मेरे साथ यहाँ पे छुप जाओ,
और दोनों का शरीर लहू लुहान हो गया और मुंह से बस एक ही आवाज निकली
कान्हा, कान्हा, आ जाओ!
ठीक मध्य रात्रि कान्हा जी बच्चे के रूप में फिर वहीँ आये ,
और दोनों झाड़ियों से बहार निकल आये!
पंडित जी कि आँखों में आंसू थे वो फूट फूट के रोने लग गया, और जाके चोर के चरणों में गिर गया और बोला कि हम जिसे आज तक देखने के लिए तरसते रहे,
जो आज तक लोगो को लुटता आया है, तुमने उसे ही लूट लिया तुम धन्य हो,
आज तुम्हारी वजह से मुझे कान्हा के दर्शन हुए हैं,
तुम धन्य हो……!!
ऐसा है हमारे कान्हा का प्यार, अपने सच्चे भक्तों के लिए ,
जो उसे सच्चे दिल से पुकारते हैं, तो वो भागे भागे चले आते हैं…..!!
प्रेम से कहिये श्री राधे ~ हे राधे ! जय जय श्री राधे—–
मेरो तो गिरधर-गोपाल, दूसरो न कोई
!!!!

Saturday, 11 March 2017

राधे राधे

ऐसी कृपा करो मेरी "राधे"
तेरा नाम ही मेरा धन हो जाए,जिस जगह तुझे याद करूं, वही मेरा वृदांवन हो जाए....
राधे राधे जी

Friday, 10 March 2017

जय श्री कृष्ण

इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी,
खामोशियो की आदत हो गयी ,
न शिकवा रहा न शिकायत किसी से,
अगर है तो एक """""मोहब्बत""""""
जो ""कान्हा"""तुम से हो गई .,,,



मेरे"""साँवरिया"""
ये सोचना गलत है कि तुम पर नज़र नहीं है...
मसरूफ़ हम बहुत है मग़र बेख़बर नही है.....
"""प्यारे कान्हा"""
क्यूँ सताते हो
मुझे यु दुरिया बढा कर
मेरे कान्हा...
तुम्हे मालूम नही अधूरी हो
जाती है तुम बिन जिंदगी



जय श्री कृष्ण

भूलेंगे वो भुलाना जिनका काम है...
मेरी तो सावँरे ...
के बिना गुज़रती नहीं शाम है....
कैसे भूलूँ मैं ...
मेरे कान्हा जी ... को जो मेरी ज़िंदगी का दूसरा नाम है

जय श्री कृष्ण

सारे जगत को देने वाले
      मैं क्या तुझको भेंट चढ़ाऊँ,
      जिसके नाम से आए खुशबू
      मै क्या उसको फूल चढ़ाऊँ !!.

वो तैरते तैरते डूब गये, जिन्हे खुद पर गुमान था।।

और वो डूबते डूबते भी तर गये.. जिन पर तू मेहरबान था।।.                      

जय श्री कृष्ण 

जय श्री श्याम

ग्यारस के दिन थोड़े बचे हैं,
          कर लो भगतों तैयारी..
मेला लगेगा खाटु धाम में,
        भीड़ होगी बड़ी भारी..
कोई नाचे कोई गाये,
      कोई ध्वजा चढ़ायेगा..
स्वर्ण सिंघासन बैठ सांवरा,
       सब पर किरपा बरसाएगा.

।।जय श्री श्याम।।

कोई जरा जल्दी बनेगा ,कोई लेट बनेगा।
लिख के ले लो श्याम का हर दिवाना सेठ बनेगा।

जो गरीब है आज,वो कल लाखों का पेट भरेगा।
बाबा श्याम का प्रेमी हर दिलों पर राज करेगा।।
   

श्याम के ही भक्त

"श्याम" का दिया हुआ... हमे सब कबूल है।
मेरे "श्याम" के रहते हुये... चिंता करना फिजूल है।
आयेगी मुसीबत भी... तो मेरा "श्याम" उसे टालेगा
हम "श्याम" के ही भक्त है... हमे "श्याम" ही संभालेगा।।

श्याम श्याम

मेरे सांवरे के चरणों से रहमतों का झरना बहता रहता है ।

पर बरसता उसी पर है
जिसका मन श्याम श्याम कहता रहता है।।

Friday, 3 March 2017

Shri Radhe krishna

⛤बंसी वाले के चरणों में सर हो मेरा
फिर ना पुछो के उस वक्त क्या बात है
उनके द्वारे पे डाला है जब से डेरा
फिर ना पुछो की कैसी मुलाकात है
सारे जहाँ का पुन्य मिले इस दर पे शीश झूकाने में,मजा कहाँ वो जीने में जो मजा यहाँ मर जाने में जय जय श्री राधे⛤

Thursday, 2 March 2017

जय श्री श्याम

आओ दीवानगी का किस्सा ,
दो लाइन में तमाम करें ,
जहाँ भी मिले श्याम दीवाने
उसे झुक के जय श्री श्याम करें ...

🙏 जय जय श्री श्याम  🙏

radhe radhe

  *आँसू न होते तो आँखे इतनी खुबसूरत न होती,
दर्द न होता तो खुशी की कीमत न होती
अगर मिल जाता सब-कुछ केवल चाहने ही से
तो दुनिया में " ऊपर वाले "की जरूरत ही न होती !!!!!
🌹जय श्री श्याम।।🌹

Shri Radhe krishna

 अच्छा हुआ जो
         गुजर गया फरवरी..!!
ये अंग्रेजी मोहब्बत
        का महीना था साहब...!!

राधा कृष्ण का प्रेम
         तो अब परवान चढ़ेगा..!!
रसिया पर फागुन
        का रंग जब चढ़ेगा...!!!

होली के रसिया की जय        
  .......प्रेम से कहिए श्री राधे!!